याद आती है, वो बचपन की बातें.
वो बस्ते से ज्यादा, टिफिन में ध्यान देना.
न चाहते हुए भी, सबसे ज्ञान(सबक) लेना.
वो पीछे की बेंच पर बैठे, दोस्त को सताना.
वो बहार खड़े भाई को चिढाने के लिए, बाथरूम में गाना.
वो कांच की गोलियों को, डब्बे में जमा करना.
वो शादी में जाकर, खूब मजे करना.
धूप की चिंता ना, बारिश की फ़िक्र.
अपनी हर बात्तों में, कल देखी फिल्म, का जिक्र.
हो कोई भी मौसम, वो लगता था सुहाना.
गर मूड नहीं स्कूल जाने का तो, पेट पकड़ कर, लेट जाना,
काश वो दिन, हम फिर , अतीत से ढून्ढ लाते.
याद आती है, वो बचपन की बातें.
मस्ती के दिन, और बेफिक्र रातें.