सवांद ही सवांद नज़र आता है हर तरफ .
काम नज़र नहीं आता किसी भी तरफ.
सिर्फ बातें ही करता रहता इंसान यहाँ.
कर्त्याव्यनिस्था खो गयी जाने कहाँ.
बातों के भवंर में में भी डूब गया.
अनोजोशी नाम का ब्लॉग बनाया और सो गया.
अब जब समय मिलता है तो लिखता हूँ.
सवांदो के ब्यापार में. में भी बिकता हूँ.
कभी कभी सवांद नगरी के राजाओं के लेख में टिपणी कर लेता हूँ.
नहीं आये समझ तो, दो चार आलोचना कर के, दिल खुश कर लेता हूँ.
Friday, April 23, 2010
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3 comments:
bahut acchhi rachna.badhayi.
nice bhai..........
dhnyabad dosto
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