खेल खेल खेल.
कर दिया कॉमन वैल्थ गेम फेल.
अब तो सब इसका ठीकरा,एक दूसरे में फोड़ रहे है.
और इस खेल को भारत लाने वाले मणिसंकर,
अब मुह अपना मोड़ रहे है.
कहते है, इस खेल का बेडा गर्क है.
इनमे और हमारे दुश्मनों में क्या फर्क है?
असुविधयो के लिए खेल का बहाना लगाते है.
तीन सालो तक कुछ ना कर पाए, इस राज को छुपाते है.
गुलाम नबी ने तो, डेंगू का कारण देकर, इस खेल का नाम बर्बाद कर दिया.
कलमाड़ी ने खुद कि शाम को आबाद कर दिया.
वाह इस खेल का बजट, हमारी शिक्षा के बराबर करने वाले ये लोग.
जिन्होंने भ्रिस्ठाचार के दैत्य को लगाया खुद भोग.
और अब सारी मलाई खाकर, ख़राब दूध का पनीर बना रहे है.
कुछ समझ नहीं आता है, चुप रहे या कुछ करें.
या फिर इस खेल के नाम पर बढ़ी महंगाई और टेक्स को भरें.
2 comments:
aapne to khel ke khel ka poora pol hee khol diya....badhayi
वाह....
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