ऐ दिल, चुपचाप और खामोश आज क्यों है.
भीड़ ,मेरे आस-पास, आज क्यों है!!
दिल की बस्ती में उदासी सी छाई है,क्यों
दिवाली के रोज भी, इतनी अंधेरों की खाई है क्यों,
हटते नहीं आँखों से,आँसुओ की बूंदे,
इस जख्म में इतनी गहराई है क्यों,
सबकुछ पास होकर भी,जुंबा पे ''ये काश '' आज क्यों है,
भीड़ ,मेरे आस-पास आज क्यों है,
हर पल, इतनी देर में कटता है क्यों।.
उजाला, मेरी आँखों में चुभता है क्यों,
उम्मीद तेरे आने की,अभी भी बरक़रार है,,
फिर भी तेरे नाम से, सीने में दर्द उठता है क्यों,
अजीब सा तुझसे मिलने का, अहसास आज क्यों है,
भीड़ ,मेरे आस- पास आज क्यों है!!
1 comment:
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, मन की मानना सीख लेते हैं हम, भीड़ संग रहना सीख लेते हैं हम।
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