Thursday, April 29, 2010

गदारी धार्मिक नहीं होती

माधुरी गुप्ता की खबर कल आखबार में पढ़ी.
भावनाए आक्रोश की, अन्दर ही अन्दर इस तरह सड़ी
की सबकुछ कम लगने लगा.
हर आई ऍफ़ एस ऑफिसर गदार दिखने लगा.
फिर माँ की, पांचो अंगुली सामान नहीं, वाली बात याद आ गयी.
और पता नहीं किस का, लेकिन क्रोध मत करो वाली वाणी, मन को भा गयी.
फिर सोचा वो कौन सी मज़बूरी थी, जिससे वो गदार हो गयी.
ऐंसा क्या दिया पाकिस्तान ने,  जो उनकी कदर दार हो गयी
क्यों की गद्दारी का तमका तो, कुछ पार्टियों ने, कुछ बिशेष धर्म वालो को दिया था.
आज हिन्दू धर्म की गदार निकली तो इसलिए उन्होंने अपना मुख सिया था.
मुझे नहीं पता की इन खबरों में कितनी सचाई है.
पर पीठ तो बड़े बड़े महपुरशो ने दिखाई है.
बस हमें पता नहीं चलता है.
ईमान धर्म देख के कभी  नहीं बदलता है.

Friday, April 23, 2010

सवांद नगरी की प्रजा {फिर से प्रकाशित}

सवांद ही सवांद नज़र आता है हर  तरफ .
काम नज़र नहीं आता किसी भी तरफ.
सिर्फ बातें ही करता रहता इंसान यहाँ.
कर्त्याव्यनिस्था खो गयी जाने कहाँ.
बातों के भवंर में में भी डूब गया.
अनोजोशी नाम का ब्लॉग बनाया और सो गया.
अब जब समय मिलता है तो लिखता हूँ.
सवांदो के ब्यापार में. में भी बिकता हूँ.
कभी कभी सवांद नगरी के राजाओं के लेख में टिपणी कर लेता हूँ.
नहीं आये समझ तो, दो चार आलोचना कर के, दिल खुश  कर लेता हूँ.