Tuesday, February 22, 2011

पापा, में पापा बन गया,


















११ अक्टूबर की रात में,
             कोई नहीं था, साथ में,
अचानक, बीबी का फ़ोन आया,
              फ़ोन में खबर सुनी तो, में घबराया,
पत्नी को, पेट में दर्द सता रहा था,
               और में ऑफिस में था,इसलिए घबरा रहा था,
पत्नी के साथ कोई नहीं था,क्यों की delivery डेट, २ नवम्बर की थी,
                 और काफी दिन पहले, दर्द हो रहा था, ये बात बहुत भयंकर  थी.
में कमरे में जाने को तुरंत निकला.
                कठोर दिल मेरा,मोम जैंसा पिघला.
कुछ कोस की दूरी मुझे, कई मील  की लग रही थी,
               कई कुछ गलत न हो जाये, ये भावना अन्दर चुभ रही थी.
घर पहुचते ही में, पत्नी को लेकर,  अस्पताल गया,
           डॉक्टर के कमरे में जाते-जाते, मेरी आँखों में आंसू का सैलाब बहा,
फिर अपने आप को, संभाल कर, डॉक्टर की बात को सुना,
   वो बोली,आपके होने वाले बच्चे  के लिए, बिधाता ने आज का दिन है चुना.
फिर इन्तजार करते-करते वो घडी आई,
     सबसे पहले नर्से बहार आकर,मुझे देख  मुस्काई,
 भगवान के द्वारा,हमें  भेजा उपहार, बच्चे के रूप में डॉक्टर, बहार लायी.   
     मेरे हाथ में पकड़ा कर बोली,  बधाई हो बधाई,
 मेरी आँखे खुशी से छलक आई.
      आज आपसे मेने,  अपनी, उस दिन की, बात की है,
और अपनी पत्नी अंजलि को, धन्यबाद देने के लिए, ये कविता सौगात  दी है,