Tuesday, June 12, 2012

भ्रर्म क्या चीज होती है


बहुत पहले बचपन में एक दिन में दोपहर में सोया हुआ था,शाम  को जब में उठा तो, एहसास हुआ की सुबह हो गयी है, और जल्दी जल्दी में स्कूल के लिए तैयार हो गया,माँ ने मुझे देख समझ लिया कि, इसे कुछ गलती लगी है,और वो मुस्करा कर बोली कि,अभी तो शाम हो रही है,तब मुझे अहसास हुआ की ये भ्रर्म क्या चीज होती है, फिर जीवन में बहुत से इसी प्रकार के गलतियों से सामना हुआ, पहले माँ समझा देती थी की सुबह नहीं शाम है, लेकिन अब में बड़ा हो गया हूँ, अपने फैसले खुद ले सकता हूँ, इसलिए अपने विवेक का इस्तेमाल करता हूँ, और यहीं से गलतियों में गलतियाँ शुरू हो जाती है, जैंसे मेने  India Shining सुना तो सच में सब जगह Shining दिखता  था, जब India Shining की हवा निकली तो, हर जगह डार्क दिखने लगा,फिर मनमोहन सिंह एक इमानदार आदमी दिखने लगे,और अब वही मनमोहन भ्रष्ट लगने लगे,आखिर ये तश्वीर हमारे सामने लाता कौन है,अगर भड़ास 4  के संपादक  यशवंत सिंह होते तो, टपाक से कहते ''मीडिया''. लेकिन ये मीडिया है कौन, ये भी तो हम ही है, जो अपनी गलती को नहीं देखते और दूसरों  की गलती को इतना दिखाते हैं कि,पूछो मत, अब अमर सिंह की CD तो दिन भर दिखायेंगे ये, पर निरा राडिया से बात करते कुछ "staff " की बातें नहीं दिखायेंगे,खैर छोडिये,  हम बात कर रहे थे गलतियों की,अब लोग अन्ना- अन्ना चिलाने  लगे तो, हम भी बोलने लगे,फिर बाबा रामदेव का समर्थन , सरकार को गाली,नेता  को गाली और पता नहीं जैंसा सब कहते और दिखाते है, हमें वैंसा क्यों  दिखने लगता है? कभी-कभी सोचता हूँ की अब में भेड़-चाल में नहीं आऊंगा  और लोगो से उल्टा बोलने लगता हूँ, और होता क्या है में एक परिहास की वस्तु  बन जाता हूँ,हम चीन के बिकास की सराहना तो करते है, और कहते है, काश यहाँ भी ऐंसे हो, लेकिन जब सरकार उनके जैंसे, मात्र फेसबुक  और गूगल पर नियंत्रण की बात तक करती है तो, रविश कुमार सर prime टाइम में एक घंटे की बहस कर देते है,लोग अधिकारों के हनन की बातें करने लगते है,ऐंसा नहीं है की सब हम गलत सोचते है, पर ज्यादातर हम गलत सोचते है ये पक्का है,यहाँ देह ब्यापार करने वाला तो गलत है, लेकिन मानवता, नैतिकता  तथा नियमो  का व्यापार करने वाला सिर्फ आरोपी, वाह क्या बात है,