कुछ नया करना चाहते है हम, पुराना हटाकर।
८४ करोड़ देवता तो याद नहीं, ढोंगी बाबा की तस्वीर लगाते है, पूजा में सटाकर।
पुण्य कमा लेते है, अंधे व्यक्ति को सड़क पार कराकर।
पर बजट बिगड़ जाता है, माँ के चश्मे का बिल भराकर
माँ के हाथ का खाना खाने में हीख इन्हें आती है ।
और बाशी बअर्गेर पित्ज़ा देखकर ही भूख इन्हें सताती है।
बगल के किसन चाचा की दूकान जाने में शर्म इन्हें आती है।
और मल्टीप्लेक्स में अपनी चोरो के जैंसे जांच करा कर महंगा खरीदने में कोई आफत नहीं आती है।
कुएं के पानी को गन्दा कहते है।
और जो पिए रसायन युक्त मिनरल वाटर उसे बन्दा कहते है।
घरवालो के लिए टाइम नहीं, पर अमेरिका में चैटिंग से बिना देखे दोस्त की सुध लेते है।
भुज के भूकंप में सिर्फ अफ़सोस और साहरुख की अमेरिका में चेकिंग में दुःख लेते है।
घर के बने खाकी सूती कपडे ख़राब.और ब्रैंड सही है।
लडकियो के १० बॉयफ्रेंड है, टोकने में कहती है ट्रेंड यही है।
क्या लिखे जोशी(में) पुराना मिटाकर।
कुछ नया करना चाहते है हम पुराना हटाकर।
Tuesday, March 23, 2010
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